नई शिक्षा नीति 2020 क्या है ?
नमस्कार दोस्तों ! careerinhindi.com में आपका स्वागत है। हमारे आज के इस पोस्ट “नई शिक्षा नीति 2020 क्या है ?” के जरिये हम आपको बतायेंगे कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्या है और पुराने नीति की अपेक्षा इसमें क्या बदलाव किये गए है। तो आयिए नई शिक्षा नीति 2020 क्या है ? के बारें में विस्तार से जानते हैं। सम्पूर्ण जानकारी के लिए पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े।
किसी भी देश या राज्य के स्कूलों या कॉलेजों में क्या पढ़ाया जाएगा, पढ़ाई का पेटर्न, क्या होगा, मूल्यांकन किस आधार पर होगा ये सब बातें निर्भर करती है उस देश की शिक्षा नीति पर । आज हम इस पोस्ट में इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि नई शिक्षा नीति 2020 क्या है ?
नई शिक्षा नीति 2020 क्या है ?
शिक्षा जगत में एक बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति की घोषणा की है, जो शिक्षा जगत में एक बड़ा बदलाव करने में बहुत ही कारगर होगी । आइए विस्तार से जानते हैं नई शिक्षा नीति 2020 क्या है ?
हमारे देश में सबसे पहले 1968 में शिक्षा नीति में बदलाव किया गया था उसके बाद सन 1986 और अब सन 2020 में एक बहुत ही बड़ा बदलाव किया जा रहा है जो आने वाले 1 या 2 वर्षों में लागू हो सकता है । नई शिक्षा नीति को डॉ कस्तूरी रंजन जो की इसरो के पूर्व वैज्ञानिक रह चुके हैं उनकी अध्यक्षता में आकार दिया गया है । इस शिक्षा नीति को बनाने के लिए कई वर्षों से हर क्षेत्र के विशेषज्ञों आदि से सलाह मशवरा करके बनाया गया है।
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य
नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है छात्रों को किताबी ज्ञान से उठकर प्रेक्टिकल पर ज़ोर देना और उसे 18 वर्ष का होने तक रोज़गार एवं व्यापार के लिए तैयार करना है । हालाँकि इस शिक्षा नीति में बच्चे के पहले दिन स्कूल जाने से लेकर पढ़ाई पूरी होने तक हर जगह बदलाव किए गए हैं तो ऐसे में उद्देश्य सिर्फ़ एक है हर वर्ग के छात्रों का सर्वांगीण विकास ।
एक और बड़ा उद्देश्य इस शिक्षा नीति का यह है कि अब तक छात्रों को एक निर्धारित पेटर्न के आधार पर ही पढ़ाई करना होती थी लेकिन इस शिक्षा नीति के आ जाने के बाद अब छात्र उन विषयों की पढ़ाई कर सकेंगे जिसमें उन्हें रुचि है । जैसे किसी साइंस के छात्र को यदि अर्थशास्त्र में रुचि है तो वह उसे भी पढ़ पाएगा और जिस कामर्स के छात्र को फ़िज़िक्स में रुचि है तो वह भी इसे पढ़ पाएगा ।
नई शिक्षा नीति का पेटर्न
अब तक जो शिक्षा नीति लागू थी जिसमें आपने और हमने अपनी पढ़ाई पूरी की वह थी 10+2 यानी कक्षा 1 से लेकर 10 तक और कक्षा 11वीं एवं 12वीं । इसका अर्थ है अब तक जो कक्षा 1 से 12 तक की पढ़ाई होती थी वह सरकार के तय निर्देशों एवं नियमों के अधीन होती थी ।
नई शिक्षा नीति का पेटर्न है 5 + 3 + 3 + 4 (five + three + three + four) इस तरह से 3 वर्ष के बच्चे से लेकर 18 वर्ष के बच्चे शामिल होंगे । आइए जानते है इन चारों स्तरों को विस्तार से ।
- फाउंडेशनल स्टेज (Foundational Stage 5 Years) : इस स्टेज को दो भागों में विभाजित किया गया है पहला स्टेज 3 वर्ष होगा जिसमें प्री-प्राइमरी स्कूल के वर्ष 3 एवंं अगले 2 वर्ष ग्रेड 1 एवं 2 की पढ़ाई होगी । इस स्टेज की विशेष बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की कोई परीक्षा नहीं होगी । साथ ही छात्रों को खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों के द्वारा सिखाने प्रयास किया जाएगा, इस तरह उन छात्रों की स्कूल जाने में रुचि बड़ेगी जो अभी पढ़ाई एवं किताबों के बोझ के कारण स्कूल जाने से कतराते है । इस स्टेज की विशेष बात यह होगी की इसमें कोई परीक्षा नहीं होगी ।
- प्रीपेट्रेरी स्टेज (Preparatory stage) : इस स्टजे में कक्षा तीसरी से पाँचवी तक के छात्र होंगे । इस स्टेज में छात्रों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने पर बल दिया जाएगा जो वैकल्पिक होगा, हालाँकि यह एक चर्चा का विषय है जिसपर सरकार की ओर से स्पस्टीकरण आना बाक़ी है ।
- मिडिल स्टेज (Middle stage) : इसमें कक्षा 6, 7 एवं 8 शामिल की गई हैं, सबसे बड़ी बात इस स्टजे की यह हैं कि इसमें कक्षा 6 से ही छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा आदि से अवगत कराया जाएगा ।
- उच्च माध्यमिक (Higher Secondary) : यह स्कूली शीशा के आख़री पढ़ाव का हिस्सा है जो 4 वर्ष का होगा। इसमें कक्षा 9 से 12 तक की कक्षा को सम्मिलित किया गया है। इस स्टेज की विशेषता यह है कि इसमें साल में दो बार यानी सेमिस्तर आधारित परीक्षाएँ होंगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में किये गये प्रमुख बदलाव
दोस्तों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रहित हेतु कई स्तर पर बदलाव किये गये हैं। जो इस प्रकार हैं :
- मास कम्यूनिकेशन एवं जनसंचार में क्या अंतर है
- पत्रकारीता में करियर कैसे बनाएँ
- UPSC क्या होता है ?
- SSC क्या होता है ?
स्कूल स्तर पर हुए बदलाव : नई शिक्षा नीति
- शिक्षा मंत्रालय के अनुसार 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात होगा।
- ओपन स्कूलिंग प्रणाली के माध्यम से 2 करोड़ स्कूली बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में वापस लाना है।
- वर्तमान 10 + 2 की स्कूल शिक्षा प्रणाली को (3-8 वर्ष – 5वी), (8-11 वर्ष – 8वी), (11-14 वर्ष – 11वी), और (14-18 वर्ष – 12वी) के अनुसार एक नए पाठयक्रम संरचना द्वारा स्थापित किया जाना है।
- इस स्कूली पाठ्यक्रम को 3-6 साल के बच्चों को विश्व स्तर पर मानसिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है। इस पाठ्यक्रम के दौरान बच्चों की 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री स्कूलिंग के साथ 12 वर्ष की स्कूली शिक्षा भी होगी।
- कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाने के लिए, याद किए गए तथ्यों के बजाय मुख्य दक्षताओं का परीक्षण होगा, सभी छात्रों को दो बार परीक्षा देने की अनुमति होगी।
- छात्रों को कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- सभी स्कूल को कम से कम 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में ही पढ़ाना। किसी भी छात्र पर किसी भाषा की बाध्यता नहीं लगाई जाएगी।
- सभी छात्र के सर्वांग विकास के लिए 360 डिग्री होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड के साथ मूल्यांकन सुधार और लर्निंग आउटकम का प्रयोग किया जायेगा
- एनसीइआरटी के परामर्श से राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा शिक्षकों की शिक्षा के लिए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा बनाई जाएगी।
- शिक्षण के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री (2030 तक) की होगी।
कॉलेज स्तर पर हुए बदलाव : नई शिक्षा नीति
- उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2035 तक बढ़ाकर 50% किया जाएगा, इसके अलावा, उच्च शिक्षा में 5 करोड़ सीटें और जोड़ी जाएंगी।
- नए पाठ्यक्रम के तहत साथ समग्र स्नातक शिक्षा प्रमाणीकरण के साथ 3 या 4 साल की हो सकती है।
- एम.फिल पाठ्यक्रमों को बंद कर दिया जाएगा और स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तर के सभी पाठ्यक्रम अब अंतःविषय (इंटरडिसिप्लिनरी) होंगे।
- अकेडमिक क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना की जाए।
- देश में वैश्विक मानकों के सर्वोत्तम बहु-विषयक शिक्षा मॉडल स्थापित किया जायेगा ।
- देश में अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने और उच्च शिक्षा में अनुसंधान क्षमता के निर्माण के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन को एक शीर्ष निकाय के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा।
- भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग को चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा के लिए एक एकल छत्र निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
- सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षा संस्थानों को नियमन, मान्यता और शैक्षणिक मानकों के लिए समान मानदंडों द्वारा शासित किया जाएगा।
- कॉलेजों की संबंधता (एफ़िलिएशन) को 15 वर्षों में चरणबद्ध किया जाना होगा ।
नई शिक्षा नीति 2020 अन्य परिवर्तन
- राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (NETF) शिक्षण, मूल्यांकन, योजना, प्रशासन को बढ़ाने तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विचारों के मुक्त आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान किया जाएगा।
- छात्रों का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र ‘परख’ की स्थापना की जाएगी । इसके तहत विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित किये जाने की भी संभावना है। यह वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्रों की स्थापना पर जोर देता है।
- राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद संस्थान और व्याख्या की स्थापना की जाएगी।
- शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को जल्द से जल्द जीडीपी के 6% तक पहुंचाना है।
- भाषा : नई शिक्षा नीति में मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विशेष बल दिया गया है ।
- नई शिक्षा नीति के तहत मिनिस्ट्री ऑफ़ ह्यूमन रिसर्च एवं डेवलपमेंट का नाम परिवर्तन करके शिक्षा मंत्रालय किया गया ।
यह शिक्षा के प्रति अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण की दिशा में एक प्रगतिशील बदलाव है। निर्धारित संरचना बच्चे की क्षमता को पूरा करने में मदद करेगी। हमें उम्मीद है कि इस पोस्ट के जरिये आपको नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली होगी।
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